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सरहुल

सरहुल 2025, 2026 और 2027

झारखण्ड के सभी आदिवासी “सरहुल” के नाम से जाने वाले अपने नए साल को चैत्र महीने की अमावस्या के तीन बाद मानते हैं। सरहुल के दिन प्रदेशीय स्तर पर छुट्टी मनाई जाती है और यह उत्सव बसंत ऋतु की शुरुवात का समय होता है।

सालतारीखदिनछुट्टियांराज्य / केन्द्र शासित प्रदेश
20251 अप्रैलमंगलवारसरहुल JH
202621 मार्चशनिवारसरहुल JH
20279 अप्रैलशुक्रवारसरहुल JH
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झारखण्ड में ओरों, हो और मुंडा नाम की आदिवासी प्रजातियाँ अपने सभी रीति रिवाजों का पालन करते हुए, इस नए साल के उत्सव को पूरे जोश के साथ मनाती हैं। सरहुल का वास्तविक अर्थ होता है पेड़ों की पूजा करना और प्रकृति की उपासना करना। इस दिन कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

स्थानीय लोग रंग बिरंगे कपड़े और सुन्दर पहनते हैं। साथ ही में, यह लोग “बा पोरोब” नाम का भी उत्सव मनाते हैं जो की फूलों से जुड़ा त्यौहार है। सरहुल के दिन, यहाँ पर सरहुल नृत्य करा जाता है, साल के पेड़ की पूजा करी जाती है और कई कार्यक्रम करे जाते हैं।

सरहुल के दिन कई तरह का स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते है। इस दिन चावल से बना “हंडिया” नाम का व्यंजन बनता है, कई सारी सब्जियाँ बनती हैं और “सूखी मछली“ भी बनती है, जिसमे मछली को सुखा कर या भून कर बनाया जाता है। इस दिन कई तरह के फल, मशरूम, पत्तों और बीज का सेवन करा जाता है, जो की बसंत ऋतु की शुरुवात को दर्शाता है।

झारखंड में मार्च और अप्रैल महीनो में कई तरह के धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाती है, जो की कई दिनों तक चलते हैं। यह “सरहुल” है, सरना धर्म के लोगों के नए साल का उत्सव।

पिछले कुछ वर्ष

सालतारीखदिनछुट्टियांराज्य / केन्द्र शासित प्रदेश
202411 अप्रैलगुरूवारसरहुल JH
202324 मार्चशुक्रवारसरहुल JH