संत कबीर जयंती 2025, 2026 और 2027
संत गुरु कबीर जयंती, उत्तर भारत में रहने वाले मध्यकालीन युग के धार्मिक कवि के सम्मान में मनाई जाती है।
साल | तारीख | दिन | छुट्टियां | राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश |
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2025 | 11 जून | बुधवार | संत कबीर जयंती | CG, HP, HR & PB |
2026 | 29 जून | सोमवार | संत कबीर जयंती | CG, HP, HR & PB |
2027 | 18 जून | शुक्रवार | संत कबीर जयंती | CG, HP, HR & PB |
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कबीर दास का जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपनी शिक्षा एक हिन्दू गुरु द्वारा प्राप्त करी थी। फिर भी, उन्होंने खुद को इन दोनों धर्मों के बीच के वर्गीकरण से बचाए रखा। वो खुद को दोनों, “अल्लाह का बेटा” और “राम का बेटा” कहते थे और पौराणिक कथाओं के हिसाब से, उनकी मृत्यु होने पर दोनों ही, हिन्दू और मुसलिम धर्म के लोगों ने उनके अंतिम संस्कार के लिए उनके पार्थिव शरीर लेना चाहा था।
इनके द्वारा लिखी गई यादगार कविताएँ, इनकी ख्याति का मुख्य कारण बनी। “कबीर जयंती” के दिन कबीर दास द्वारा लिखी गई कविताओं, उपदेशों और “चुटकुलों” को याद किया जाता है। कबीर ने अपने जीवन की शुरुआत कपड़ा बुनने के काम से करी थी, और बाद में उन्होंने खूबसूरत कविताओं में “शब्दों को बुनना” शुरू कर दिया था।
ग्रगॉरीअन कैलेंडर के अनुसार, यह त्यौहार मई या जून के महीने में पड़ता है और इस दिन कबीर दास द्वारा लिखित कविताएँ, उपदेश और शिक्षा को याद किया जाता है और लोग इनके द्वारा लिखे गए “जादूई गीतों” को गाते हैं। कबीर मंदिरों की निंदा करते हुए कहते थे कि, ऐसा समझा जाता है कि भगवान मंदिरों में या क़ुरान जैसे धार्मिक पुस्तकों में रहते हैं। लेकिन फिर भी आज के समय में कबीर दास के सम्मान में कई मदिरों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
वाराणसी शहर, जहाँ कबीर का जन्म हुआ था, वहाँ भव्य जश्न मनाया जाता है। और कई जगहों पर भी धार्मिक जुलूस और “शोभायात्रा” निकाली जाती हैं, जिनका समापन मंदिरों में जा कर होता है।
पिछले कुछ वर्ष
साल | तारीख | दिन | छुट्टियां | राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश |
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2024 | 22 जून | शनिवार | संत कबीर जयंती | CG, HP, HR & PB |
2023 | 4 जून | रविवार | संत कबीर जयंती | CG, HP, HR & PB |