जन्माष्टमी 2023, 2024 और 2025
जन्माष्टमी एक पारंपरिक हिन्दू पर्व है जो भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
साल | तारीख | दिन | छुट्टियां | राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश |
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2023 | 6 सितंबर | बुधवार | जन्माष्टमी | HR, OR & TN |
7 सितंबर | गुरूवार | जन्माष्टमी | सभी राज्य सिवाय AR, AS, GA, HR, KA, KL, LD, MH, MZ, OR, PY, TN & WB | |
2024 | 26 अगस्त | सोमवार | जन्माष्टमी | सभी राज्य सिवाय AR, AS, GA, KA, KL, LD, MH, MZ, PY & WB |
2025 | 16 अगस्त | शनिवार | जन्माष्टमी | सभी राज्य सिवाय AR, AS, GA, KA, KL, LD, MH, MZ, PY & WB |
2026 | 4 सितंबर | शुक्रवार | जन्माष्टमी | सभी राज्य सिवाय AR, AS, GA, KA, KL, LD, MH, MZ, PY & WB |
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दुनिया भर में 930 मिलियन लोगों द्वारा मनाया जाने वाला यह त्योहार आध्यात्मिक नवीकरण और नयी शुरुआत और नव वर्ष का उत्सव लाता है। यह उत्सव श्रावण मास में पड़ता है, और दो दिनों तक मनाया जाता है। इस उत्सव का प्रारंभ आधी रात में शुरू होता है, ऐसा माना जाता है कि 3228 ईसा पूर्व भगवान कृष्ण का जन्म इसी समय हुआ था।
भगवान कृष्ण हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे प्रिय देवताओं में से एक हैं क्योंकि वो दैवीय आनंद और प्रेम के अवतार हैं। उन्होंने संसार में आकर प्रेम का धर्म स्थापित किया। कृष्ण का प्रेम सर्वव्यापक है, और अक्सर उन्हें पवित्र गौ माता के पास खड़े होकर बांसुरी बजाते हुए रूप में प्रदर्शित किया जाता है। अपने सम्पूर्ण जीवन के दौरान भगवान कृष्ण कई खतरों से बचे थे, और वो अपनी बुद्धिमता साथ ही साथ शक्ति और चंचलता के लिए भी जाने जाते हैं। भगवान कृष्ण को ना केवल एक दैवीय शिक्षक के रूप से प्रेम किया जाता है, बल्कि उन्हें इसलिए भी प्रेम किया जाता है क्योंकि वो सभी लोगों के अंदर मौजूद दैवीय शक्ति के प्रकाश के भी प्रतीक हैं।
यह दैवीय शक्ति ही लोगों को अपने आध्यात्मिक उद्देश्य का ज्ञान रखते हुए संसार में अपनी भूमिका निभाने के लिए भेजती है। यह उनके प्रेम, प्रेरणा और ज्ञान में है जो भगवान कृष्ण को दैवीय आनंद का स्त्रोत बनाता है।
जन्माष्टमी का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, और कई लोग दो दिनों तक सोये बिना इस त्योहार का आनंद उठाते हैं। वे नाचते-गाते हैं और कुछ पारंपरिक पकवानों का आनंद उठाते हैं जबकि अन्य लोग आधी रात में भगवान कृष्ण के जन्म लेने के समय तक उपवास रखते हैं। समारोह के लिए विशेष पकवान तैयार किये जाते हैं, और ये उन पकवानों को दर्शाते हैं जो भगवान कृष्ण को प्रिय थे। कई लोग भगवान कृष्ण के जन्म और आध्यात्मिक नवीकरण का उत्सव मनाने के लिए दूधचि खीर, गोपाल कला और गुलाब जामुन जैसी मिठाइयां तैयार करते हैं।
सम्पूर्ण भारत के लोग उत्सव का आनंद उठाते हैं और नाच, गाने और भगवान कृष्ण के जय-जयकार में खो जाते हैं। समारोहों में अक्सर रासलीला को शामिल किया जाता है, जो नृत्य के माध्यम से भगवान कृष्ण के जीवन के दृश्यों को दर्शाने के लिए एक नाटक होता है। कई समुदाय, विशेष रूप से मुंबई के लोग, दही हांडी के आयोजन में भी हिस्सा लेते हैं, जो एक रस्म है जिसमें लोग मानव पिरामिड बनाकर रस्सी से लटकी हुई मिट्टी की हांडी को तोड़ते हैं।
द्वारका शहर, जहाँ कृष्ण ने अपना ज्यादातर समय व्यतीत किया था, पूरे शहर को तीर्थयात्रियों के स्वागत के लिए सजाया जाता है जो इस उत्सव के दिन वहां आते हैं। द्वारका का अर्थ है “मोक्ष का द्वार,” और भगवान कृष्ण ने यह शहर स्थापित करने के लिए अपने भाई के साथ काम किया था और इसके महल सोने, माणिक, पन्ने और हीरों से बनाये गए थे। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण की मृत्यु के बाद पूरा शहर जलमग्न हो गया था। द्वारका में होने वाले कार्यक्रम पूरे भारत में सबसे ज्यादा भव्य और प्रसिद्ध हैं। इस उत्सव का आयोजन भगवान कृष्ण की दैनिक दिनचर्या के अनुसार किया जाता है, और मंगल आरती करने के साथ इसकी शुरुआत होती है।
इसके बाद, भक्तगण भगवान कृष्ण को पंजीरी, या दूध से बने उत्पाद चढ़ाते हैं, और भगवान कृष्ण को सुबह 8 और 10 बजे के बीच नहलाया जाता है। नहाने के बाद, भगवान कृष्ण को पीले कपड़े और फूलों के गहने पहनाये जाते हैं। उन्हें सजाने के बाद भगवान कृष्ण को दोबारा भक्तगणों के दर्शन के लिए उपलब्ध कराया जाता है, और शाम के समय, एक बार फिर से मंगल आरती की जाती है और इसके बाद भगवान कृष्ण को दोबारा उनकी पसंदीदा मिठाइयां चढ़ाई जाती हैं।
जन्माष्टमी हिन्दू धर्म के सबसे रंगारंग उत्सवों में से एक है और सबसे प्रिय देवताओं में से एक के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन तीर्थस्थल और मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ होती है और शहरों को रोशनी से प्रकाशित किया जाता है जबकि भारत के सबसे प्रमुख उत्सवों में से एक को मनाने के लिए निष्ठावान भक्तगण भजन-कीर्तन का गान करते हैं।
पिछले कुछ वर्ष
साल | तारीख | दिन | छुट्टियां | राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश |
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2022 | 18 अगस्त | गुरूवार | जन्माष्टमी | HR, OR & UP |
19 अगस्त | शुक्रवार | जन्माष्टमी | सभी राज्य सिवाय AR, AS, GA, HR, KA, KL, LD, MH, MZ, OR, PY, UP & WB | |
2021 | 30 अगस्त | सोमवार | जन्माष्टमी | सभी राज्य सिवाय AR, AS, GA, KA, KL, LD, MH, MN, MZ, PY & WB |
2020 | 11 अगस्त | मंगलवार | जन्माष्टमी | AN, AP, BR, JH, OR, TG, TN, TR, UK & UP |
12 अगस्त | बुधवार | जन्माष्टमी | CG, CH, DD, DL, DN, GJ, HP, HR, JK, ML, MN, MP, NL, PB, RJ & SK | |
2019 | 24 अगस्त | शनिवार | जन्माष्टमी | सभी राज्य सिवाय AR, AS, CH, GA, KA, KL, LD, MH, ML, MZ, PY & WB |
2018 | 3 सितंबर | सोमवार | जन्माष्टमी | सभी राज्य सिवाय AR, AS, GA, KA, KL, LD, MH, MN, MZ, PY & WB |
2017 | 14 अगस्त | सोमवार | जन्माष्टमी | AP, BR, OR, SK, TG, TN & TR |
15 अगस्त | मंगलवार | जन्माष्टमी | AN, CG, DD, DN, GJ, HP, HR, JH, JK, MN, MP, NL, PB, RJ, UK & UP |