अंबेडकर जयंती 2025, 2026 और 2027
भारत में डॉ अंबेडकर जयंती एक सार्वजनिक अवकाश है।
साल | तारीख | दिन | छुट्टियां | राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश |
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2025 | 14 अप्रैल | सोमवार | अंबेडकर जयंती | सभी राज्य सिवाय AN, AR, AS, DN, DD, DL, LD, MN, ML, MZ, NL & TR |
2026 | 14 अप्रैल | मंगलवार | अंबेडकर जयंती | सभी राज्य सिवाय AN, AR, AS, DN, DD, DL, LD, MN, ML, MZ, NL & TR |
2027 | 14 अप्रैल | बुधवार | अंबेडकर जयंती | सभी राज्य सिवाय AN, AR, AS, CH, DN, DD, DL, LD, MN, ML, MZ, NL & TR |
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यह अवकाश भारतीय राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। अंबेडकर जयंती भारतीय अधिकारियों और नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह अवकाश प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को मनाया जाता है। अंबेडकर जयंती खुशी और सद्भावना का दिन है। अंबेडकर जयंती एक सार्वजनिक अवकाश है जो भारतीय लोगों को भारत की सामाजिक प्रगति के बारे में गंभीरता से सोचने का अवसर देता है।
बाबा साहब अंबेडकर का जीवन
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर एक भारतीय राजनेता और अर्थशास्त्री थे जिन्होंने भारत के संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। भारत में व्यापक मानव अधिकारों का अधिवक्ता होने के नाते, अंबेडकर जी ने भारत से जाति प्रथा को हटाने का पूरा प्रयास किया। बाबा साहब अंबेडकर का लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से काफी घनिष्ठ संबंध था। बाद में, अंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री बनें।
- प्रारंभिक जीवन
बाबा साहब अंबेडकर भारतीय सेना के एक अधिकारी के पुत्र थे। उनके पिता के अधिकारी वर्ग के पद के बावजूद, अंबेडकर और उनका परिवार भारत की एक दलित जाति से संबंधित था। भारतीय परंपरा के अनुसार, जाति प्रथा समाज के प्रत्येक सदस्य की भूमिका निर्धारित करती थी। दलित जाति का होने के नाते, अंबेडकर जी को अछूत माना जाता था। 19वीं और 20वीं शताब्दी के दौरान भारतीय जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अछूत था। कई मामलों में, लोगों को केवल गरीबी और ऐसी अन्य स्थितियों के कारण दलित की श्रेणी में डाल दिया जाता था जिनपर किसी का कोई नियंत्रण नहीं होता है। अछूतों को कई रोजगार और शैक्षिक अवसरों से दूर रखा जाता था। अछूत अलग भी रहते थे।
अछूत होने के कारण, अंबेडकर जी को अपनी बाल्यावस्था के दौरान बहुत सारे भेदभाव का सामना करना पड़ा था। दलित होने के बावजूद, अंबेडकर जी ने स्कूल में बहुत कठिन परिश्रम के साथ पढ़ाई की। अपने कठिन परिश्रम की वजह से उन्होंने हाई स्कूल की प्रवेश परीक्षाओं के दौरान बहुत अच्छे अंक प्राप्त किये। अछूतों को हाई स्कूल के स्तर की पढ़ाई करने का बहुत कम अवसर मिलता था, इसलिए अंबेडकर जी के जीवन में यह एक बहुत महत्वपूर्ण क्षण था। जहाँ अंबेडकर जी रहते थे वहां के अछूतों के समुदाय ने उनकी सफलता का जश्न मनाया और उन्हें उपहारों से सम्मानित किया। अंबेडकर जी की बढ़ती प्रसिद्धि की यह केवल एक शुरुआत थी।
- शिक्षा
हाई स्कूल पूरा करने के बाद, अंबेडकर जी कोलंबिया विश्वविद्यालय चले गए। जल्दी ही इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद अंबेडकर जी ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस में अध्ययन किया। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस में ही अंबेडकर जी ने भारत में सामाजिक समानता के संबंध में कई योजनाएं बनायीं। लंदन छोड़ने के बाद, रोजगार के लिए और पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने के लिए अंबेडकर जी भारत वापस आ गए।
- रोजगार की खोज
अपनी औपचारिक शिक्षा पूरी करने के बाद अंबेडकर जी ने कई रोजगार किये। हालाँकि, शुरुआत में अंबेडकर जी को इन सभी रोजगारों में पर्याप्त सफलता प्राप्त होती थी, लेकिन अंत में वो विफल हो जाते थे क्योंकि अछूत होने की वजह से उनके ग्राहक उनके साथ काम करने से मना कर देते थे। बचपन में भेदभाव और कठिनाई का सामना करने के बाद, ये आर्थिक समस्याएं उनके सहन शक्ति की सीमा से बाहर थीं। अंत में, अंबेडकर जी ने गरीबों और दलितों की समस्याओं को दूर करने के लिए भारतीय राजनीति में प्रवेश करने का फैसला किया।
- राजनीति
एक राजनेता के रूप में, अंबेडकर जी ने ऐसे कई अभियानों का नेतृत्व किया जो संपूर्ण भारतवर्ष के अछूतों और धार्मिक अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखकर किये गए थे। अंबेडकर जी ने विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व भी किया और अछूतों को शिक्षित करने की महत्ता के बारे में बताया ताकि वे अपनी दयनीय सामाजिक स्थिति से बाहर निकल सकें। अपनी मृत्यु के समय तक, अंबेडकर जी ने अछूतों और अल्पसंख्यकों के लिए भारत को ज्यादा सहिष्णु स्थान बनाने में भारत की सहायता की।
बाबा साहब अंबेडकर के जीवन और उनकी वजह से वर्तमान में मौजूद कई बेहतर सामाजिक स्थितियों को सम्मानित करने के लिए भारतीय जनता अंबेडकर जयंती मनाती है।
समारोह
पूरे भारतवर्ष में अंबेडकर जयंती एक आनंदपूर्ण समय होता है। एक बड़ा उत्सव होने के नाते, लोग गतिविधियों और कार्यक्रमों की एक व्यापक श्रृंखला का आनंद लेते हैं।
- नृत्य
अंबेडकर जयंती के दौरान भारत के सभी प्रमख शहरों में नृत्य काफी लोकप्रिय कार्यक्रम है। विभिन्न पृष्ठभूमियों और वर्गों के लोग शहरों में एकत्रित होकर अच्छे गीत-संगीत पर नृत्य करते हैं और खाते-पीते हैं। इसे अक्सर भारतीय एकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
- चित्रकारी, निबंध और रचनात्मकता
कई लोग अंबेडकर जयंती का प्रयोग चित्रकारी और लेखन जैसी रचनात्मक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए करते हैं। चूँकि अंबेडकर जी ने सामाजिक न्याय के लिए शिक्षा की महत्ता पर जोर दिया था, इसलिए इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। अंबेडकर जयंती के दौरान लिखे जाने वाले निबंध और बनाई जाने वाली कलाकृतियां अक्सर कठिनाई की बाधा को पार करने के विषय पर केंद्रित होते हैं। अंबेडकर जयंती के दौरान विश्वविद्यालयों में सामान्य तौर पर सामाजिक अन्याय के बारे में लेक्चर दिए जाते हैं।
- परेड
अंबेडकर जयंती के दौरान भारत के प्रमुख शहरों में नर्तकों, कलाकारों, और संगीतकारों का परेड निकलना सामान्य कार्यक्रम है।
पिछले कुछ वर्ष
साल | तारीख | दिन | छुट्टियां | राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश |
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2024 | 14 अप्रैल | रविवार | अंबेडकर जयंती | सभी राज्य सिवाय AN, AR, AS, CH, DN, DD, DL, LD, MN, ML, MZ, NL & TR |
2023 | 14 अप्रैल | शुक्रवार | अंबेडकर जयंती | सभी राज्य सिवाय AN, AR, AS, DN, DD, DL, LD, MN, ML, MZ, NL & TR |