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बकरीद

बकरीद 2026 और 2027

बकरीद, या कुरबानी से जुडी दावत, एक ऐसा त्यौहार है जिसे पूरी दुनिया और भारत में रहने वाले मुसलमान बहुत ज़ोर शोर से मानते हैं। इस्लामिक धर्म में यह छुट्टी का दिन होता है।

साल 2026 में बकरीद बुधवार, 27 मई को पड़ती है। यह अवकाश 2027 में सोमवार, 17 मई को होगा।

सालतारीखदिनछुट्टियांराज्य / केन्द्र शासित प्रदेश
202627 मईबुधवारईद-उल-अधा (बकरीद) सभी राज्य सिवाय AR, CH, DN,
DD & SK
28 मईगुरूवारईद-उल-अधा (बकरीद) छुट्टियां JK
202717 मईसोमवारईद-उल-अधा (बकरीद) सभी राज्य सिवाय AR, DN, DD
& SK
18 मईमंगलवारईद-उल-अधा (बकरीद) छुट्टियां JK
कृपया पिछले वर्षों की तारीखों के लिए पृष्ठ के अंत तक स्क्रॉल करें।

क्योंकि यह त्यौहार इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से चलता है, इसलिए यह ज़रूरी नहीं है कि इसे हर साल किसी एक ही दिन या तारीख को मनाया जाए। आज के दिन लोग पैगम्बर इब्राहीम की वफादारी को याद करते हैं और इस त्यौहार को उनके सम्मान में मानते हैं। इस दिन अल्लाह ने पैगम्बर इब्राहीम को अपने बेटे, इस्माइल की कुर्बानी देने का हुक्म दिया था। भारत में भी इस ख़ास त्यौहार को सत्कार और सम्मान के लिहाज़ से देखा जाता है। यह दिन भारत में रह रहे सभी मुसलमानों के लिए छुट्टी का दिन होता है, और इसे वो अपने परिवार और दोस्तों के साथ ख़ुशी से और मिल जुलकर मानते हैं।

यह देखने के लिए कि इब्राहीम कितने आज्ञाकारी हैं, अल्लाह ने उन्हें इस्माइल की कुरबानी देने को कहा था। पहले तो इन्रहीम को ऐसा लगा कि उनका इम्तहान लिया जा रहा हैं, जिसके चलते उन्होंने इस माँग की तरफ ध्यान नहीं दिया। लेकिन, जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि यह अल्लाह की ही मर्ज़ी थी। इसके ठीक बाद, इब्राहीम अपने बेटे इस्माइल को अराफात पहाड़ी के शिखर पर लेकर पहुँचे। वहाँ पर बहुत ही दुखी और हिचकिचाते हुए मन से उन्होंने रस्सियों की मदद से इस्माइल को बलि चढाने वाले चबूतरे पर बाँध दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने बेटे की बलि देते हुए उस पर खंजर घोंप दिया।

जब इब्राहीम ने अपनी आखें खोलीं तो उन्होंने पाया कि वहाँ पर इस्माइल की जगह एक मरी हुई भेड़ पड़ी थी। पहले तो उन्हें बहुत हैरानी हुई और उन्हें ऐसा लगा कि अपने इकलौते बेटे की कुरबानी न देने की उनकी चाहत से अल्लाह बहुत नाराज़ हो जाएँगे। तब अल्लाह ने उन्हें यह बात समझाई कि वो इब्राहीम की वफादारी से खुश हैं और इब्राहीम अपने बेटे इस्माइल को वापस रख सकते हैं। अल्लाह की इस बात को सुनकर इब्राहीम ने उनका शुक्रिया अदा किया और अपनी बाकी की ज़िंदगी उनकी ख़िदमत करने का वादा किया। कुरबानी का यह त्यौहार भी इब्राहीम के कर्मो और बलिदान को याद करते हुए, उनके सम्मान में मनाया जाता है।

इस दिन एक पालतू जानवर की बलि चढ़ाने की प्रथा है। आम तौर पर ऊँट, भेड़ें और बकरियों की बलि चढ़ाई जाती है। जानवरों की बलि चढाने को कुरबानी के नाम से जाना जाता है।

त्यौहार के इस दिन, बलि चढ़ाए गए जानवर का कुछ हिस्सा अपने घर की दावत के लिए रखा जाता है और बाकी हिस्सा ग़रीबों में बाँट दिया जाता है। क्योंकि इस दिन हर मुसलिम परिवार से दान की उम्मीद करी जाती है, हर कोई ईद उल-अज़हा के दिन दान देता है और सबको भरपेट दावत देता है।

ईद उल-अज़हा के मौके पर ख़ास दुआएँ पढ़ी जाती हैं। सबसे ज़रूरी दुआ जानवर की बलि देने से पहले पढ़ी जाती है। ऐसा माना जाता है कि कुरबानी के इस दिन पढ़ी गई सभी दुआएँ शान्ति और सम्पन्त्ता लाती हैं।

पिछले कुछ वर्ष

सालतारीखदिनछुट्टियांराज्य / केन्द्र शासित प्रदेश
20256 जूनशुक्रवारईद-उल-अधा (बकरीद) KL
7 जूनशनिवारईद-उल-अधा (बकरीद) सभी राज्य सिवाय AR, DN, DD,
KL & SK
8 जूनरविवारईद-उल-अधा (बकरीद) छुट्टियां JK
202417 जूनसोमवारईद-उल-अधा (बकरीद) सभी राज्य सिवाय AR, DN, DD
& SK
18 जूनमंगलवारईद-उल-अधा (बकरीद) छुट्टियां JK